आध्यात्म,साहसिक यात्राओं के रोमांच और प्राकृतिक सौन्दर्य, इन तीनों का अनुभव अगर आप करना चाहते है तो भारत में हिमालय से बेहतरीन स्थान दूसरा नही हो सकता| तकरीबन 2400 किलोमीटर में फैले हुए हिमालय के साथ चीन,नेपाल जैसे देशों के साथ तिब्बत की भी सीमा लगती है और लगभग हर इन सीमाओं पर एक गांव ऐसा है जो पर्यटकों,घुमक्कडों के बीच भारत के आखिरी गांवों के नाम से मशहूर हैं।
ऐसे ही सीमान्त गांवों में से एक है भारत चीन की सीमा से लगा हुआ गांव माना जिसे माणा भी कहा जाता है | गढवाल हिमालय के चमोली जिले में स्थित इस गांव का आध्यात्मिक महत्व भी कम नही है। हिंदुओं के प्रसिद्ध तीर्थ और चारधामों में से एक बद्रीनाथ से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह गांव भारत के आखिरी गांव के रूप में मशहूर है। जिससे लगभग 25 किलोमीटर बाद स्थित नीति पास के बाद तिब्बत की सीमा लगनी शुरु हो जाती है।
कहा जाता है की यहीं पर वेदव्यास जी ने महाभारत की रचना की थी जिससे गणेश जी लिखवा रहे थे। आज भी यहां व्यास गुफा है जिसके अंदर छोटा सा मंदिर बना हुआ है। लगभग 1200 लोगों की आबादी वाला यह गांव अपनी पहाडी बसावट के कारण और भी खूबसूरत लगता है। पत्थरों को एक के उपर एक रि कर बनाये गये छोटे छोटे घर पूरे गांव को एक बडे घर होने का अहसासकरािे हैं।
यहां के अधिकतर निवासी भोटिया जनजाति से हैं | जिनका मुख्य पेशा भेड़ चराना और फिर उनसे सर्दियों के कपडे बनाना है। आपको हर घर के बाहर महिलाएं और पुरुष कुछ ना कुछ बुनिे हुए दिख जायेंगे।ये लोग साल के छह महीने ही इस गांव में रहते हैं और फिर जब ठण्ड ज्यादा पड़ने लगती है तो छह महीने निचले इलाकों में चले जाते हैं। यहीं पर आपको सरस्वती नदी रौद्र रूप में दिखाई देती है जिसके साथ एक आध्यात्मिक प्रसंग भी जुडा हुआ है। कहते हैं की जब वेद व्यास महाभारत की रचना कर रहे थे तो सरस्वती के तीव्र स्वर से उन्हे व्यवधान हो रहा था। व्यास ने सरस्वती को श्राप दिया की इसके बाद वह अदृश्य हो जाएगी। इस तरह लगभगतीन किलोमीटर बहने के बाद बद्रीनाथ में सरस्वती अलकनंदा में मिल जाती है।
कुछ आगे चलते ही यहां आपको भीमपुल दिखाई देगा जो की पांडवों से सम्बंधित है।यहां जब आप जायें तो यहां की चाय की दुकान पर चाय पीना ना भूलें जिस पर लिखा हुआ है, भारत की आखिरी दुकान
Blog By:-
Mr. Anuj Chaturvedi
Assistant Professor, Biyani Group of Colleges
Department of Social Science