कॉलेज : मेरा पहला दिन

आज मैं आप लोगों को मेरे अपने परिवार के बारे में बताने वाली हूँ, मुझे मिलाकर हमारे परिवार में पाँच सदस्य हैं, दो मेरे भाई और मेरे मम्मी, पापा मैं आपको एक बात बताऊँ मेरी मम्मी जब कभी भी मुझे फटकार लगाती है तो मेरे पापा हमेशा ही मेरा पक्ष लेते हैं, हाँ मम्मी का डाँटना भी सही है, लेकिन इस समय मुझे इसकी कद्र नही है, मेरे घर में मुझे छोडकर सबको कार, स्कूटी चलानी आती है, और इसलिए मुझे बस में ही आना और जाना पडता है। काॅलेज के शुरू के दिनों में तो मेरा बडा भाई छोडने भी आता था और लेने भी, और हाँ कुछ दिनो के बाद उसने मुझसे कहा कि मै रोज – रोज तुझे लेने नही आ सकता (क्योंकि उसकी प्ण्ज्ण्प् की परीक्षाएँ आने वाली थी, तो उसे भी अपनी पढाई करनी थी) तो वो दिन मेरा आखरी दिन था जब मेरे भाई ने मुझे स्कूटी से काॅलेज छोडा था, और उस दिन के बाद से मेरे काॅलेज बैग में हमेशा ही पैसे होते हैं (जो कि पहलें कंगाल हुआ करता था) फिर आई बारी मेरे बस में सफर की चलो भाई पाँच बजे उठी सारा काम किया दैनिक दिनचर्या निपटाई, नहाई धोई और सात बजने में दस मिनट कम पर अपने बस स्टाॅप पर पहुँची, तो एक बस आई जो कि ’’बियानी काॅलेज’’ से दस मिनट की दूरी पर उतारती है मैं बस में बैठी और काॅलेज में आ गई, और वैसे भी सुबह-सुबह तो दस मिनट तक पैदल चलना अच्छा लगता है, पर जैसे ही काॅलेज खत्म हुआ, तो उस चमचमाती धूप में मुँह पर डूप्पटा/स्टाॅल बाँधकर हम बस स्टाॅप पहुँचे, तो मैं 34 नं. बस का इंतजार करने लगी, तो एक नीले रंग की बस हमारी ओर आते हुए दिखाई दी, मैं तो समझ ही नही पाई की ये क्या हुआ क्योंकि हर तरफ तहलका मच गया था और सारी भीड एक तरफ आ गई थी (उन्हे भी सही बस में जाना था) मैं भी बस में बैठ गई ओह, हो, गलती हो गई मैं भी बस में खडी हो गई क्योंकि बस में बैठना तो सपने सच होना जैसा था, बस इतनी भर चुकी थी, कि हमारा दम घुँट रहा था, इतने में एक बुढी महिला आई, जो काफी बातुनी थी, और उसकी बातें उन सभी थकावटी चेहरों को एक खुशी का पल देने वाली थी, क्योंकि वो वृद्ध महिला खुद सबसे आगे खडी होकर सभी को पीछे की ओर धकेल रही थी तो अब इतनी मुश्किलों के बाद मेरी गली आई और मैनें पैसे देकर अपनी मंजिल का रूख कर लिया, तो दोस्तों ये थी मेरी पहले दिन की थकावट और मुश्किल।

Top Reasons Behind Aggression in Teenagers

Today I overheard the conversation—or should I say the arguments—between my neighbor Mrs. Kapoor and her teenage daughter, Ananya. Somehow, it took me back to when I was a teenager

पर्यावरणीय मुद्दे: एक मानवता से जुड़ी कहानी

जब हम अपने आस-पास की दुनिया को देखते हैं, तो कभी-कभी हम उसकी सुंदरता और विविधता को अनदेखा कर देते हैं। हरे-भरे जंगल, नदियों की मधुर ध्वनि, चिड़ियों की चहचहाहट