विद्यार्थी जीवन में बुरी आदतों से छुटकारा पाने के प्रभावी उपाय



परिचय:

विद्यार्थी का अर्थ है विद्या पाने की चाहत रखने वाला । विद्यार्थी जीवन किसी भी व्यक्ति की ज़िंदगी का सबसे अनमोल और निर्णायक समय होता है। इस उम्र में बालक का ज्ञानात्मक विकास होता है जिसमें वह अपने मस्तिष्क को विकसित करता है और सोचने समझने, तर्क और चिंतन की क्षमता विकसित करता है , भावात्मक विकास होता है जिसके अंतर्गत उसमें मूल्य विकसित होते हैं सही गलत का निर्णय लेने की क्षमता विकसित होती है तथा क्रियात्मक विकास होता है उसके अंतर्गत वह विभिन्न कौशल विकसित करता है। यही विकास बालक के आने वाले भविष्य को आकार देता है। विकास के इस महत्वपूर्ण चरण में अगर विद्यार्थी ग़लत आदतों — जैसे आलस, गुस्सा,मोबाइल की लत,, झूठ, गुस्सा, नशा या ग़लत संगत आदि का शिकार हो जाएं, तो उनका भविष्य बर्बाद हो सकता है। अब सवाल यह उठता है कि विद्यार्थी अपने वर्तमान में इन बुरी आदतों से कैसे बचे जिससे उसका भविष्य संवर जाए। यह संभव है लेकिन इसके लिए आवश्यकता है सही मार्गदर्शन ,जागरूकता और आत्म समझ की।

विद्यार्थियों के लिए बुरी आदतों से बचने के उपाय:

1. स्वयं को समझें

हर बदलाव की शुरुआत आत्म-विश्लेषण से होती है। खुद से ईमानदारी से पूछें:
  • क्या मैं अपना अधिकतर समय मोबाइल पर बर्बाद कर रहा हूँ?
  • क्या मैं अपनी गलतियों को छुपाने के लिए झूठ बोलता हूँ?
  • क्या मैं गलत संगत में हूँ?
जब विद्यार्थी अपनी कमजोरियों को स्वीकार करता है, तभी सुधार की दिशा में पहला कदम उठता है।

2. अच्छी संगत अपनाएँ

“जैसा संग, वैसा रंग” केवल कहावत नहीं, बल्कि हकीकत है। यदि आपकी संगत अच्छे विचारों और आदतों वाले लोगों से है—जैसे सकारात्मक सोच वाले शिक्षक या दोस्त—तो उसका प्रभाव आप पर अवश्य पड़ेगा। अच्छी संगत आपको बुरी आदतों से दूर और प्रेरणा से भर देती है।

3. प्रभु में विश्वास रखें

विद्यार्थियों को यह समझना चाहिए कि हर कार्य ईश्वर को समर्पित भाव से करें। प्रभु का नाम और ध्यान डगमगाते मन को स्थिर करने में सहायक होता है।
“हे प्रभु! मुझे हर कदम पर सही राह दिखाओ” — ऐसी छोटी-सी प्रार्थना भी बड़ा परिवर्तन ला सकती है।

4. समय का सदुपयोग करें

सफलता का आधार है समय का सही उपयोग। इसके लिए:
  • सुबह जल्दी उठें
  • व्यायाम करें
  • पढ़ाई व खेल का निश्चित समय तय करें
  • समय पर सोएं
जब दिनचर्या सुव्यवस्थित होती है, तो मन बुराइयों से स्वतः ही दूर रहता है।

5. बुरी आदतों को पहचानें और बदलें

सिर्फ बुरी आदतें छोड़ना काफी नहीं, उन्हें अच्छी आदतों से बदलना जरूरी है। जैसे:
  • मोबाइल की लत छोड़ें और अच्छी किताबें पढ़ें
  • संगीत सुनें, ध्यान करें
  • रचनात्मक कार्यों में समय बिताएं
इससे धीरे-धीरे मन सकारात्मक और अनुशासित होने लगता है।

6. गलती हो तो स्वीकारें और सुधारें

गलती करना स्वाभाविक है, लेकिन उसे स्वीकार करना और सुधारना महानता है“मैंने गलती की, अब इसे नहीं दोहराऊँगा” – यही विचार आपको बेहतर इंसान बनाता है।

7. सच्चे मन से प्रार्थना करें

बुरी आदतों से अकेले लड़ना मुश्किल होता है। जब हम सच्चे दिल से ईश्वर से प्रार्थना करते हैं:
“प्रभु, मुझे अच्छा और सच्चा इंसान बनाइए”
तो प्रभु हमें शक्ति और सही दिशा अवश्य देते हैं। अंत में एक बात याद रखें की परीक्षा में अच्छे अंक लाना जरूरी है लेकिन इसके साथ यह भी जरूरी है कि विद्यार्थी में अच्छे संस्कार और अच्छे मूल्य विकसित हो जिससे वह बुरी आदतों को छोड़कर समाज का मूल्यवान नागरिक बन सके यही विद्यार्थी जीवन की सच्ची सफलता है।

निष्कर्ष:

स्वयं को पहचानो, आत्म निरीक्षण करो ,अच्छी संगत चुनो ,अनुशासन में रहो ,ईश्वर को याद करो इससे बुरी आदतों से भी छुटकारा मिलेगा और जीवन को सही दिशा मिलेगी । इसलिए बुरी आदतों को छोड़कर एक अच्छा विद्यार्थी व एक अच्छा इंसान बनिए। बियानी गर्ल्स कॉलेज में विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास पर ध्यान दिया जाता है इसके लिए विद्यार्थियों की सहशैक्षणिक गतिविधियों पर ध्यान दिया जाता है तथा विभिन्न मोटिवेशनल गतिविधियों के माध्यम से उनमें अच्छे संस्कार व मूल्य विकसित किए जाते हैं जिससे वह स्वयं को पहचाने और बुरी आदतों से दूर रहकर एक अच्छा इंसान बने।

✍ ब्लॉग लेखक:

डॉ. आरती गुप्ता
असिस्टेंट प्रोफेसर
बियानी गर्ल्स बी.एड. कॉलेज

भारतीय ज्ञान परंपरा (IKS) के संदर्भ में जैन दर्शन और शिक्षा

भारत की ज्ञान परंपरा सदियों से केवल बौद्धिक विकास तक सीमित नहीं रही, बल्कि उसने मानव के चरित्र, जीवन-मूल्य और आत्मिक उत्थान पर भी बल दिया। इसी क्रम में जैन

अवलोकन (Observation) जीवन को समझने की कला

अवलोकन व्यक्ति के व्यवहार के मापन की अत्यन्त प्रचीन विधि है। व्यक्ति अपने आस-पास घटित होने वाली क्रियाओं तथा घटनाओं का अवलोकन करते रहते हैं। मापन के एक उदाहरण के